सोमवार, 20 सितंबर 2021

Income Tax Return भरने का जान लीजिए क्या है इसका पूरा प्रोसेस।





Income Tax Return भरने जा रहे हैं, तो जान लीजिए क्या है इसका पूरा प्रोसेस
टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट के मुताबिक आज के समय में 80 साल से कम आयु के सभी लोगों को ऑनलाइन इनकम रिटर्न दाखिल करना होगा। 80 साल से अधिक आयु के व्यक्ति ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल कर सकते हैं।


अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने जा रहे हैं तो आपके लिए सही फॉर्म का चुनाव करना बेहद जरूरी है।

आपकी सलाना आमदनी 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो आपके लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अपरिहार्य है। हालांकि सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को 31 दिसंबर, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया है लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आखिरी मियाद का इंतजार नहीं करना चाहिए। अगर आप यह सोच रहे हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया क्या है, तो यह खबर आपके काम की है।

ऑनलाइन भरना होगा ITR:-

टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन ने बताया कि आज के समय में 80 साल से कम आयु के सभी लोगों को ऑनलाइन इनकम रिटर्न दाखिल करना होगा। 80 साल से अधिक आयु के व्यक्ति ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, अगर उन्हें रिफंड क्लेम करना है तो उन्हें ऑनलाइन ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा।

सही फॉर्म का चुनाव है जरूरी:-

अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने जा रहे हैं तो आपके लिए सही फॉर्म का चुनाव करना जरूरी है। आप अगर सहज फॉर्म भरने जा रहे हैं तो आप उसे ऑनलाइन भर सकते हैं या डाउनलोड करके भी भर सकते हैं। इसके अलावा अगर आपको कोई और फॉर्म भरना है तो उसे आपको डाउनलोड करके भरना होगा।

इस वेबसाइट के जरिए भरें फॉर्म:-

आप  https://www.incometax.gov.in के जरिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए आपको ब्राउजर में https://www.incometax.gov.in को ओपन करना होगा। अब आपका इनकम टैक्स विभाग के पोर्टल पर अकाउंट बना हुआ है तो लॉग-इन आईडी और पासवर्ड के साथ वेबसाइट पर लॉग-इन कीजिए। अगर आपका अकाउंट इस पोर्टल पर बना हुआ नहीं है तो नया अकाउंट बनाइए। इसके बाद आप दिए गए निर्देशों के आधार पर विवरण को भरकर इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते हैं।

ये सभी दस्तावेज रखें तैयार:-

हालांकि, आईटीआर दाखिल करते समय आपको कोई डॉक्युमेंट अपलोड करने की जरूरत नहीं होती है लेकिन आपको फॉर्म-16 और बैंक स्टेटमेंट जैसे डॉक्युमेंट तैयार रखने चाहिए। साथ ही इंवेस्टमेंट के प्रुफ भी आपके पास होने चाहिए। इससे प्री-फील्ड डेटा के मिलान में मदद मिलती है।

वेरिफिकेशन करना भी है जरूरी:-

बकौल जैन फॉर्म भरने के बाद आपको वेरिफिकेशन करना होता है। आप डिजिटल सिग्नेचर, आधार या डिमैट या बैंक ओटीपी के जरिए वेरिफिकेशन करा सकते हैं। अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो आईटीआर एक्नॉलेजमेंट की प्रिंट आउट निकालिए, उस पर साइन कीजिए और फिर इनकम टैक्स विभाग द्वारा बताए गए पते पर डाक के जरिए भेज दीजिए।


शनिवार, 18 सितंबर 2021

GST 45th Council Meeting: GST मुक्‍त हुईं कई दवाएं, पेट्रोल-डीजल पर हुआ ये फैसला




लखनऊ में शुक्रवार को हुई GST काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. बैठक के बाद सरकार ने कई जीवन रक्षक दवाओं को GST फ्री करने की घोषणा की।

लखनऊ:- लखनऊ में शुक्रवार को हुई GST काउंसिल की 45वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। बैठक के बाद सरकार ने कई महंगी जीवन रक्षक दवाओं को GST फ्री करने की घोषणा की. वहीं पेट्रोल-डीजल को GST फ्री करने के मुद्दे पर बैठक में सहमति नहीं बन पाई।

बैठक के बाद वित्तमंत्री सीतारमण ने दी जानकारी:-

GST काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस वार्ता करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि #Zolgensma और #Viltepso जैसी जीवन रक्षक महंगी दवाओं को GST फ्री करने का फैसला लिया गया है। कोरोना के इलाज से जुड़ी #Remdesivir दवा पर GST घटाकर 5 फीसदी किया गया है। उसे यह छूट इस साल 31 दिसंबर तक मिलती रहेगी. कैंसर के इलाज से जुड़ी कई दवाओं पर भी GST 12 से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है।


पेन पर लगाया जाएगा 18 प्रतिशत GST:-

उन्होंने बताया कि GST Council ने माल ढुलाई वाहनों के परिचालन के लिये राज्यों की ओर से वसूले जा रहे नेशनल परमिट शुल्क से छूट दी है। डीजल में मिलाए जाने वाले बायोडीजल पर जीएसटी 12 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। दिव्यांगों की ओर से यूज की जाने वाली किट पर GST घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है. पेन और उसके हिस्सों पर 18 प्रतिशत GST चार्ज करने का फैसला लिया गया है। रिन्युएबल एनर्जी में इस्तेमाल होने वाली डिवाइस पर 12 प्रतिशत जीएसटी दर तय की गई है।


पेट्रोल- डीजल के मुद्दे पर नहीं बन पाई सहमति:-

निर्मला सीतारमण ने कहा कि GST Council ने फिलहाल पेट्रोल और डीजल को फिलहाल जीएसटी के दायरे में नहीं लाने का फैसला लिया है. काउंसिल का मानना है कि यह समय पेट्रोलियम पदार्थों को माल और सेवा कर के दायरे में लाने का नहीं है. उन्होंने बताया कि अब स्विगी और जोमैटो जैसी फूड डिलीवरी कंपनियों को GST देना होगा. यह टैक्स ऑर्डर मंगाने वाले ग्राहक से वसूलकर कंपनी जमा करेगी।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने जूता-चप्पल और कपड़ों पर एक जनवरी, 2022 से उल्टा शुल्क ढांचे (कच्चे माल पर कम और तैयार माल पर अधिक शुल्क) को ठीक करने को लेकर सहमति जताई है।

 *The GST Council’s 45th meeting was held today in Lucknow under the chairmanship of the Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman. The GST Council has inter-alia made the following recommendations relating to changes in GST rates on supply of goods and services and changes related to GST law and procedure:*

1. No decision on bringing Petroleum Products under GST.

2. GST Council extends concessional GST rates on drugs used in COVID treatment till Dec 31.

3. GST Council cuts Tax Rates on Medicines used in Cancer Treatment from 12% to 5%.

4. GST Council reduces GST on fortified rice kennels from 18% to 5%.

5. No GST on Amphotericin & Tocilizumab, 5% GST on Remdesivir & Heparin 5% GST on Retro fitment kits for vehicles used by the disabled. 

6. 5% GST on Fortified Rice Kernels for schemes like ICDS etc. 

7. 18% GST on Railway parts, locomotives & other goods in Chapter 86.

8. GST Amnesty Scheme for Taxpayers who could not furnish Return in FORM GSTR-3B for tax period of July, 2017 to April, 2021 has been extended till 30.11.2021.

9. Gstr1 late fees:
Late fee for delayed filing of FORM GSTR-1 to be auto-populated and collected in next open return in FORM GSTR-3B.

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

ITR भरने में हुई देरी तो लगेगी 5,000 रुपये की पेनल्टी! सिर्फ ऐसे टैक्सपेयर्स को मिलती है छूट





सेंट्र्ल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ITR भरने की डेडलाइन को एक बार बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दिया है. 31 दिसंबर की डेडलाइन गुजरने के बाद ITR भरने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा।

Income Tax Penalty:- अगर आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) अबतक नहीं भरा है तो जितनी जल्दी हो सके फाइल कर दीजिए। हालांकि आपके पास 31 दिसंबर 2021 तक मौका है। लेकिन अगर आप इस डेडलाइन तक फाइल नही किए तो आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
ITR को समय पर भरना जरूरी है, अगर आप चूक जाते हैं तो आपको मोटे तौर पर दो तरह से पेनल्टी भरनी होती है. चलिए आपको बताते हैं।

ITR देरी से भरने पर पेनल्टी:-

जैसा कि आपको पता है कि सेंट्र्ल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ITR भरने की डेडलाइन को एक बार बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दिया है. 31 दिसंबर की डेडलाइन गुजरने के बाद ITR भरने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा. पहले ये डेडलाइन 30 सितंबर थी, लेकिन पोर्टल में गड़बड़ियों के चलते इसे आगे खिसका दिया गया है।

ऐसे लगेगी पेनल्टी:-

पिछले साल तक पेनल्टी की रकम 10,000 रुपये थी, लेकिन इस साल से इसे घटाकर 5,000 रुपये कर दिया गया है. पिछले वित्त वर्ष तक यह नियम था कि 1 अगस्त से 31 दिसंबर के बीच अगर कोई देरी से ITR भरता है तो उसे 5,000 रुपये जुर्माना देना होगा. वहीं 31 दिसंबर से 31 मार्च के बीच अगर कोई देरी से ITR भरता है तो उसे 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. अब मौजूदा असेसमेंट ईयर में देरी से ITR भरने पर जुर्माने की अधिकतम राशि को 5,000 रुपये कर दिया गया है।

छोटे टैक्सपेयर्स को राहत:-

ITR देरी से फाइल करने पर पेनल्टी सब पर लगेगी, लेकिन छोटे टैक्सपेयर्स को जुर्माने की रकम में थोड़ी राहत दी गई है. अगर किसी की सालाना इनकम 5 लाख रुपये से कम है, तब उसे देरी से ITR भरने पर 1,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. 5 लाख रुपये से कम सालाना आय पर इनकम टैक्स देय नहीं होता।


बकाया टैक्स पर इंटरेस्ट पेनाल्टी:-

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234A के तहत, अगर किसी व्यक्ति पर 1 लाख रुपये से ज्यादा का टैक्स बकाया है तो उस पर हर महीने 1 परसेंट के हिसाब से पेनल्टी लगेगा. यह पेनल्टी तब तक लगती रहेगा, जब तक वह ITR नहीं फाइल कर देता।


क्या होता है बिलेटेड और रिवाइज्‍ड रिटर्न:-

अगर आप किसी साल ITR भरना भूल जाते हैं तो बाद में रिटर्न भर सकते हैं. इसे बिलेटेड ITR कहते हैं. पहले इसे भरने के लिए 2 साल का वक्त मिलता था, लेकिन अब इस पर पेनाल्टी लगा दी गई है. ऐसे टैक्सपेयर्स अपना रिटर्न तभी भर सकते जब उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आता।



शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

सिर्फ निवेश ही नहीं कुछ खर्चे भी बचाते हैं आपका टैक्स। #Tax saving tips:-





How to #Save Income Tax:-
 

टैक्स से बचने के लिए हर कोई कोशिश करता है और अधिकर लोग टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश भी करते हैं लेकिन टैक्स के बोझ को कम करने का यही एकमात्र तरीका नहीं ह। इसके अलावा आप खर्च करके भी टैक्स बचा सकते हैं। हम आपको ऐसे ही 5 खर्चों के बारे में बताएंगे जो आपको टैक्स में छूट दिलाते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में: -


माता-पिता के इलाज का खर्च:-

- धारा 80डी के तहत यह छूट मिलती है. 50 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है

- आप अगर इन खर्चों को फाइनेंस करते हैं तो आप उन पर टैक्स में छूट क्लेम कर सकते हैं।

- यह ध्यान रखें कि अगर ये खर्चें हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर हैं तो उसे इसमें जोड़ा नहीं जाएगा


स्टाम्प ड्यूटी:-


नया घर खरीदने पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है। इन पर भी टैक्स छूट पाई जा सकती है।

धारा 80सी (Section  80C)  के तहत यह लाभ मिलता है। आप एक साल में 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट ले सकते हैं।

जिस वित्त वर्ष में घर खरीदा गया है उसी वित्त वर्ष में ये डिडक्शन क्लेम करनी होगी। बाद में इसका फायदा नही मिल पाएगा।


मां-बाप को दिया हुआ ब्याज:-



घर खरीदने के लिए मां-बाप से लोन लिया है, तो उन्हें दिए गए ब्याज पर भी इनकम टैक्स में छूट ली जा सकती है।

2 लाख रुपये तक की छूट धारा 24बी (Section 24B) के तहत मिल सकती है।

हालांकि यह फायदा उठाने के लिए आपके पास मां-बाप को ब्याज चुकाए जाने का सर्टिपिकेट होना जरूरी है।


मां-बाप को दिया गया किराया:-



वे लोग जो अपने माता-पिता के घर में रहते है टैक्स बचा सकते हैं।

ऐसे लोग अपने मां-बाप को किराया देना दिखा सकते हैं और उस पर टैक्स का लाभ ले सकते हैं।

सेक्शन 10(13ए) के तहत यह लाभ लिया जा सकता है। इसके तहत आप कंपनी की तरफ से मिले एचआरए या बेसिक सैलरी का 50 फीसदी या अपनी सैलरी के 10 फीसदी से अधिक जितना आपने रेंट दिया है, उसमें जो भी कम हो, उतना एचआरए क्लेम कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर इस सेक्शन में नही ले पाए तो सेक्शन 80GG  के तहत आप छूट ले सकते है।


प्री नर्सरी की फीस:-



छोटे बच्चों के प्ले स्कूल, प्री-नर्सरी और नर्सरी की फीस पर भी टैक्स छूट पाई जा सकती है।

यह लाभ धारा 80सी के तहत मिलता है, जिसके तहत आप अधिकतम 5 लाख रुपये पर टैक्स छूट पा सकते हैं।

यह लाभ केवल दो बच्चों तक की फीस पर मिलता है।

अगर बच्चे जुड़वा हो जाते हैं तो तीन बच्चों तक ये लाभ लिया जा सकता है।

फिर बढ़ी #Income Tax Return भरने की लास्ट डेट, जानिए कब तक फाइल कर सकते हैं अपना ITR


  • CBDT ने ट्वीट कर दी लास्ट डेट बढ़ने की जानकारी।
  • ऑडिट रिपोर्ट फाइल करने में भी मिलेगी करदाता को राहत।
  • इनकम टैक्स पोर्टल पर आ रही है ढेरो सारी  दिक्कतें।

टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने #Income Tax Retrun दाखिल करने की लास्ट डेट एक बार फिर बढ़ा दी है। इससे करदाताओं को एसेसमेंट इयर 2021-22 के लिए अपना ITR भरने के लिए और समय मिल गया।

31 दिसंबर होगी नई लास्ट डेट

आयकर विभाग ने ट्वीट करके जानकारी दी कि ITR और अलग-अलग तरह की ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की आखिरी तारीख बढ़ा दी गई है। ITR दाखिल करने की अब आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2021 होगी। अभी तक ये 30 सितंबर 2021 थी।


ऑडिट रिपोर्ट जमा होगी 15 जनवरी तक:-


इसी तरह इनकम टैक्स कानून के किसी प्रावधान के तहत जमा की जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट को पहले 31 अक्टूबर 2021 तक बढ़ाया गया था। अब इसकी लास्ट डेट बढ़ाकर 15 जनवरी 2022 कर दी गई है। इसी तरह कुछ प्रावधानों के लिए लास्ट डेट को 28 फरवरी से 31 मार्च 2022 तक बढ़ाया गया है।


टैक्सपेयर्स की परेशानी के चलते लिया निर्णय:-


वित्त मंत्रालय ने कहा कि इनकम टैक्स रिटर्न और विभिन्न ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने में करदाताओं को आ रही परेशानियों को देखते हुए आयकर विभाग ने यह निर्णय लिया है। गौरतलब है कि इनकम टैक्स विभाग ने इस साल 7 जून को अपने नए पोर्टल की शुरुआत की थी। तब से इस पर लगातार दिक्कतें बनी हुई हैं। नए पोर्टल पर आ रही दिक्कतों को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) इसे संभालने वाली कंपनी #Infosys पर कई बार नाराजगी भी जाहिर कर चुकी हैं। इसी के कारण इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को पहले भी बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया था।

गुरुवार, 9 सितंबर 2021

सेविंग स्‍कीम्‍स (Saving Account) पर मिलने वाले ब्‍याज पर भी लगता है टैक्‍स, जानें कैसे मिलती है इससे छूट।




भारत में बचत के लिए सेविंग्‍स अकाउंट (Saving A/C), फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), रिकरिंग डिपॉजिट (RD) में पैसे रखना सहज, सरल व सुरक्षित माना जाता है। यहां ध्‍यान देना जरूरी है कि इन सभी निवेश विकल्पों में जमा पैसे पर मिलने वाला ब्याज (Interest) इनकम टैक्स (Income Tax) के दायरे में आता है। इन सेविंग्स स्कीम (Saving Schemes) से मिलने वाले ब्याज को अन्य स्रोत से आय (Income from other Sources) माना जाता है। बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 30 सितंबर तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing) करना है। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि ब्याज आय पर टैक्स की कैलकुलेशन कैसे की जाती है और इनमें छूट की सीमा (Exemption Limit) कितनी होती है।

सेविंग्स अकाउंट (Saving Account) में जमा से मिले ब्‍याज पर टैक्‍स इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्शन-80TTA के तहत बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में 10,000 रुपये सालाना तक की ब्याज आय पर टैक्स की छूट दी जाती है। इसका फायदा 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या हिंदू अविभाजि परिवारों (HUF) को मिलता है। वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा 50 हजार रुपये तक है। अगर उनकी ब्‍याज से इससे ज्यादा होगी तो टीडीएस काटा जाता है। पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट से होने वाली सालाना ब्याज आय पर धारा-10(15) के तहत 3500 रुपये तक की अतिरिक्त छूट का दावा किया जा सकता है। यह अतिरिक्त छूट तय सीमा से अलग है।

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

#GST Taxpayers को बड़ी राहत! अब GST रिटर्न के लिए CA (Audit) ऑडिट की जरूरत नहीं।





#GST टैक्सपेयर्स के लिए राहत भरी खबर है। सरकार के आदेश के अनुसार, अब 5 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Goods and Services Tax) टैक्सपेयर्स अपने वार्षिक रिटर्न को खुद प्रमाणित (Self Certify) कर सकेंगे, यानी अब चार्टर्ड अकाउंटेंट (Chartered Accountants) से अनिवार्य ऑडिट सर्टिफिकेशन कराने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) ने निर्देश भी जारी किया है।


सरकार ने कारोबारियों को दी बड़ी राहत:-

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के तहत 2020-21 के लिए 2 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबारियों को छोड़कर अन्य सभी इकाइयों के लिए वार्षिक रिर्टन जीएसटीआर-9/9ए (GSTR-9/9A) दायर करना अनिवार्य है। गौरतलब है कि 5 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले टैक्सपेयर्स को फॉर्म जीएसटीआर-9सी (GSTR-9C) के रूप में समाधान विवरण जमा कराने की जरूरत होती थी। इसके बाद इस विवरण को ऑडिट के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट सत्यापित करता है।

GST (Amendment) नियमों में हुआ संशोधन:-

सीबीआईसी (#CBIC) के अधिसूचना के अनुसार, जीएसटी नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत 5 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाले करदाताओं को वार्षिक रिटर्न के साथ स्व प्रमाणित समाधान विवरण देना होगा। अब इसके लिए सीए (चार्टर्ड एकाउंटेंट) के प्रमाणन की जरूरत नहीं होगी।



GST कलेक्शन एक बार फिर 1 लाख करोड़ के पार:-

इसी के साथ आपको बता दें कि जुलाई के महीने में सरकारी खजाने में GST से 1 लाख 16 हजार 393 करोड़ आए है। जुलाई 2020 के मुकाबले इसमें 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जुलाई 2021 के जीएसटी कलेक्शन में स्टेट जीएसटी (#SGST) 28541 करोड़, सेंट्रल जीएसटी (#CGST) 22197 करोड़ और IGST 57864 करोड़ है। #IGST में 27,900 करोड़ इंपोर्ट की मदद से आए हैं। सेस (CESS) से 7,790 करोड़ आए जिसमें 815 करोड़ इंपोर्टेड गुड्स पर लगने वाले सेस से आए हैं. यानी अब अर्थ व्यवस्था में सुधार होता दिख रहा है।

सोमवार, 6 सितंबर 2021

इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए सही ITR फॉर्म जान लें, नहीं तो आ सकता है नोटिस।




#Income Tax: वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए 30 सितंबर तक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना है। ITR फाइल करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 7 तरह के फॉर्म निर्धारित किए हैं। आपको अपनी आय के साधन के आधार पर ITR फॉर्म चुनना होगा, नही तो आयकर विभाग इसे अस्वीकार कर देगा।

#ITR 1 फॉर्म:-

अगर किसी इंडिविजुअल को वेतन, प्रॉपर्टी के किराए, ब्याज, 5,000 रुपए तक एग्रीकल्चर और पेंशन से आय प्राप्त होती है तो उसे ITR-1 या सहज फॉर्म भरना होगा। जिन लोगों की इन सोर्स से 50 लाख तक सालाना आय है वही ITR-1 सहज फॉर्म भर सकते हैं। ITR-1 ‘सहज’ उन व्यक्तियों के लिए नहीं है, जो या तो किसी कंपनी में निदेशक (Director) हैं, या जिन्होंने अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश किया हुआ है।

#ITR 2 फॉर्म:-

यह फॉर्म उन व्यक्तियों और HUFs के लिए है, जिन्हें कारोबार या प्रोफेशन से हुए मुनाफे से इनकम नहीं होती है, लेकिन ITR-1 के लिए योग्य नहीं हैं। इस फॉर्म को वे टैक्सपेयर भर सकते हैं, जिन्हें सैलरी/पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी व अन्य स्रोत जैसे ब्याज से आय प्राप्त होती है और वह 50 लाख रुपए से ज्यादा है।

#ITR 3 फॉर्म:-

ऐसे इंडिविजुअल्स जिन्होंने साझेदारी में कोई बिजनेस कर रखा है। इससे मिलने वाले ब्याज या सैलरी या बोनस से आय प्राप्त होती है। इसके अलावा किसी प्रॉपर्टी से मिल रहे किराए से आय प्राप्त होती है। उन्हें ITR-3 फॉर्म भरना होगा।

#ITR 4 फॉर्म:-

सुगम फॉर्म उन लोगों के लिए है जिनकी कारोबार या पेशे से सालाना आय 50 लाख रुपए तक हो। कैपिटल गेन्स से आय पाने वाले और फॉरेन असेट के मालिक ITR-4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। आय में सैलरी या पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी, अन्य स्रोतों से आय भी शामिल है।

#ITR 5 फॉर्म:-

यह इंडिविजुअल, एचयूएफ, कंपनी और ITR-7 फॉर्म भरने वालों के अतिरिक्त अन्य टैक्सपेयर्स के लिए है। व्यक्ति और HUF (ITR-1 से लेकर ITR 4 तक भरने वाले), कंपनी (ITR-6 भरने वाली) या चैरिटेबल ट्रस्ट/इंस्टीट्यूशंस (ITR-7 भरने वाले) से अलग टैक्सपेयर्स के लिए है। यानी ये फॉर्म 4 और 5 के लिए योग्य पार्टनरशिप फर्म्स से अलग पार्टनरशिप फर्म्स के लिए, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLPs), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स, बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स, आर्टिफिशियल ज्यूडिशियल पर्सन, लोकल अथॉरिटी, कोऑपरेटिव सोसायटी, सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर सोसायटी, मृत व्यक्ति की एस्टेट, दिवालिया व्यक्ति की एस्टेट, बिजनेस ट्रस्ट, इन्वेस्टमेंट फंड आदि ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनके लिए कोई और फॉर्म लागू नहीं होता है। सेक्शन 139(4A) या 139(4B) या 139(4C) या 139(4D) के तहत ITR फाइल करने वाले व्यक्ति ITR-5 नहीं भर सकते।

#ITR 6 फॉर्म:-

यह धारा 11 के तहत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के लिए है। इसे सेक्शन 2(17) के अनुरूप कंपनियां भर सकती हैं। इसे वे कंपनियां भरती हैं, जो ITR 7 फॉर्म भरने वाली कंपनियों से अलग हैं।

#ITR 7 फॉर्म:-

ये फॉर्म ऐसी कंपनियों और लोगों के लिए जिन्हें सेक्शन 139(4A) या 139(4B) या 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न भरने की जरूरत है। जिन लोगों की आय आयकर कानून के सेक्शन 10 के तहत छूट प्राप्त है और जिन्हें अनिवार्य रूप से ITR भरने की जरूरत नहीं है, वे इस फॉर्म का इस्तेमाल रिटर्न फाइलिंग के लिए कर सकते हैं।

रिटर्न भरने में गलती हो गया?

अगर आपने सही फॉर्म नहीं भरा है या इसमें कोई गलती है तो विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर आप संशोधित ITR दाखिल कर सकते हैं।

शनिवार, 4 सितंबर 2021

Income Tax Slabs for AY 2021-22.

 





Income Tax Slabs for AY 2021-22:-

Individuals and HUFs can opt for the Existing Tax Regime or the New Tax Regime

with lower rate of taxation (u/s 115 BAC of the Income Tax Act).

The taxpayer opting for concessional rates in the New Tax Regime will not be allowed certain Exemptions and Deductions (like 80C, 80D,80TTB, HRA) available in the Existing Tax Regime. 


 

 

 

Existing Tax Regime

New Tax Regime u/s 115BAC

Income Tax Slab

Income Tax Rate

Income Tax Slab

Income Tax Rate

Up to ₹ 2,50,000    

Nil

Up to ₹ 2,50,000

Nil

₹ 2,50,001 - ₹ 5,00,000    

5% above ₹ 2,50,000

₹ 2,50,001 - ₹ 5,00,000

5% above ₹ 2,50,000

₹ 5,00,001 - ₹ 10,00,000

₹ 12,500 + 20% above ₹ 5,00,000

₹ 5,00,001 - ₹ 7,50,000

₹ 12,500 + 10% above ₹ 5,00,000

Above ₹ 10,00,000 

₹ 1,12,500 + 30% above ₹ 10,00,000

₹ 7,50,001 - ₹ 10,00,000

₹ 37,500 + 15% above ₹ 7,50,000

 

 

₹ 10,00,001 - ₹ 12,50,000

₹ 75,000 + 20% above ₹ 10,00,000

 

 

₹ 12,50,001 - ₹ 15,00,000

₹ 1,25,000 + 25% above ₹ 12,50,000

 

 

Above ₹ 15,00,000

₹ 1,87,500 + 30% above ₹ 15,00,000


 




For Individual (resident or non-resident), 60 years or more but less than 80 years of age anytime during the previous year:

Existing Tax Regime

New Tax Regime u/s 115BAC

Income Tax Slab

Income Tax Rate

Income Tax Slab

Income Tax Rate

Up to ₹ 3,00,000

Nil

Up to ₹ 2,50,000

Nil

₹ 3,00,001 - ₹ 5,00,000

5% above ₹ 3,00,000
 

₹ 2,50,001 - ₹ 5,00,000

5% above ₹ 2,50,000

₹ 5,00,001 - ₹ 10,00,000

₹ 10,000 + 20% above ₹ 5,00,000

₹ 5,00,001 - ₹ 7,50,000

₹ 12,500 + 10% above ₹ 5,00,000

Above ₹ 10,00,000

₹ 1,10,000 + 30% above ₹ 10,00,000

₹ 7,50,001 - ₹ 10,00,000

₹ 37,500 + 15% above ₹ 7,50,000

 

 

₹ 10,00,001 - ₹ 12,50,000

₹ 75,000 + 20% above ₹ 10,00,000

 

 

₹ 12,50,001 - ₹ 15,00,000

₹ 1,25,000 + 25% above ₹ 12,50,000

 

 

Above ₹ 15,00,000

₹ 1,87,500 + 30% above ₹ 15,00,000

 


For Individual (resident or non-resident) 80 years of age or more anytime during the previous year:

Existing Tax Regime

New Tax Regime u/s 115BAC

Income Tax Slab

Income Tax Rate

Income Tax Slab

Income Tax Rate

Up to ₹ 5,00,000  

Nil

Up to ₹ 2,50,000

Nil

₹ 5,00,001 - ₹ 10,00,000

20% above ₹ 5,00,000

₹ 2,50,001 - ₹ 5,00,000

5% above ₹ 2,50,000

Above ₹ 10,00,000 

₹ 1,00,000 + 30% above ₹ 10,00,000

₹ 5,00,001 - ₹ 7,50,000

₹ 12,500 + 10% above ₹ 5,00,000

 

 

₹ 7,50,001 - ₹ 10,00,000

₹ 37,500 + 15% above ₹ 7,50,000

 

 

₹ 10,00,001 - ₹ 12,50,000

₹ 75,000 + 20% above ₹ 10,00,000

 

 

₹ 12,50,001 - ₹ 15,00,000

₹ 1,25,000 + 25% above ₹ 12,50,000

 

 

Above ₹ 15,00,000

₹ 1,87,500 + 30% above ₹ 15,00,000

 

Note: 

1. The rates of Surcharge and Health & Education cess are same under both the tax regimes 

2. Rebate u/s 87-A Resident Individual whose Total Income is not more than ₹ 5,00,000 is also eligible for a Rebate of up to 100% of income tax or ₹ 12,500, whichever is less. This Rebate is available in both tax regimes

 

Surcharge, Marginal Relief and Health & Education Cess:- 

What is Surcharge?

Surcharge is an additional charge levied for persons earning Income above the specified limits, it is charged on the amount of income tax calculated as per applicable rates

  • 10% - Taxable Income above ₹ 50 lakh – up to ₹ 1 crore
  • 15% - Taxable Income above ₹ 1 crore - up to ₹ 2 crore
  • 25% - Taxable Income above ₹ 2 crore - up to ₹ 5 crore
  • 37% - Taxable Income above ₹ 5 crore
  • Maximum rate of Surcharge on Income by way of Dividend or Income under the provisions of Sections 111A, 112A and 115AD is 15%

What is Marginal Relief?

Marginal relief is a Relief from Surcharge, provided in cases where the Surcharge payable exceeds the additional income that makes the person liable for Surcharge. The amount payable as Surcharge shall not exceed the amount of income earned exceeding ₹ 50 lakh, ₹ 1 crore, ₹ 2 crore or ₹ 5 crore respectively

What is Health and Education cess?

Health & Education cess @ 4% shall also be paid on the amount of income tax plus Surcharge (if any)






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